kabaily kheshta lahoul me sangeet va raag
देवी देवताओं को समर्पित राग -प्रथम वर्ग में रागों को देवी देवताओं को समर्पित किया गया है | इनमे कई राग हैं जो इस प्रकार हैं -घेपन राग , हिडिम्बा राग , बट बाहण, निदराऊ, छोटी प्रभात, बड़ी प्रभात , रखवारी आदि |
घेपन राग -लाहौल में 14 कोठी के अधिष्ठाता देव राजा घेपन जिनका अपना राग है | इस राग की विशेषता यह है कि इसमें बांसुरी का प्रयोग नहीं होता है | इसमें निशाँअर्थात नगाड़े का ही प्रयोग होता है इनके पास रणशिंग अर्थात करनाल होता है जो दिव्य ध्वनि
उत्पन्न करता है |
उत्पन्न करता है |
हिडिम्बा राग -लाहौल के जाहलमा नामक गांव में हिडिम्बा माई का बहुत ही प्यारा मंदिर है | माई हिडिम्बा का राग सभी देवों में अत्यंत मधुर है |
निशाँ के साथ पीतल की बांसुरी जब भी सुनाई देती है तो हृदय में परमानन्द कि अनुभूति होती है | इस राग में बांसुरी के बोल भी होते है | जो लगभग लुप्त हो चुके है |
निंदराऊ ,छोटी व बड़ी प्रभात -ये तीनो राग क्रमशः रात खुलने से पहले अर्थात ब्रह्मा मुहूर्त में बजाया जाता है| सर्वप्रथम निंदराऊ द्वितीय छोटी प्रभात तत्पश्चात बड़ी प्रभात बजाई जाती है| इन रागों में सभी त्रिदेव देवियां और गौ माता का वर्णन होता है| ऐसा मना जाता है की इन रागों के वादन से देवी देवता धरती पर आते है| इन रागों का वादन जिस भी घर में हो उस घर में यज्ञ समान फल प्राप्त होते है|
रखवारी राग -निंदराऊ छोटी व बड़ी प्रभात के वादन के पश्चात् रखवारी नामक राग बजाया जाता है| ऐसा माना जाता है की उपरोक्त रागों के वादन से जो भी देवी देवता आये है रखवारी राग के द्वारा उनसे क्षमा याचना की जाती है और उन्हें अपने अपने स्थानों पर जाने की प्राथना की जाती है| रखवारी राग इसी पर आधारित है|
बट बहाण-जिस घर में शिव का जागरण होता है वहां महादेव के गुर अर्थात चेलों को बुलाया जाता है | बादक इस राग का बादन करते हैं और घर के मुख्या धूपआदि लेकर गुर के आगे आते हैं | वह अपने घर की खुशहाली की प्रार्थना करते हैं | गुर देव वचन सुनाते हैं | यह राग गुर के भीतर देवीय सत्ता कायम करने की शक्ति रखता है |
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