Jai Raja Ghepan
नमस्ते दोस्तो कैसे हैं ? उम्मीद करता हूँ की आप सभी इस कोरोना काल में सुरक्षित होंगे | आज में आप लोगों के समक्ष हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पित्ति ज़िले के बारे में कुछ जानकारी साँझा करना चाहता हूँ |
लाहौल के सबसे ज्यादा माने जाने वाले देवता राजा घेपन जी हैं | राजा घेपन जी लाहौल के अधिष्ठाता देव हैं |इन्हें लाहौल का राजा भी कहा जाता है |
इनका भव्य मंदिर लाहौल स्थित सिस्सू (Shashn ) गांव में है |
राजा घेपन जी हर तीन साल में अपनी प्रजा से मिलने व लाहौल वासिओं को दर्शन देने हेतु संम्पूर्ण लाहौल में भ्रमण करते हैं | अपने इष्ट व राजा के दर्शन प्राप्त कर वे धन्य धन्य हो जाते हैँ | राजा घेपन जी हर बारह साल में एक बार मलाना की यात्रा पर निकलते हैं |
वे अपने बड़े भाई ज़म्ब्लू देवता से मिलते हैं |वहां राजा जी का भव्य स्वागत होता है | दोस्तों एक और महत्वपूर्ण बात मैं यहाँ रखना चाहूंगा ,चूँकि राजा घेपन लाहौल के हैं किन्तु उनके रथ की लकड़ी हमेशा मलाणा के जंगलों से लाई जाती है | मलाणा गांव हिमाचल के जिला कुल्लू में है | यहाँ पहुंचने का मार्ग दुर्गम है, इसके विपरीत यहाँ पर्यटक हज़ारों की संख्या में आते हैं | एक मान्यता के अनुसार माता सती के पिता राजा दक्ष को ही राजा घेपन कहा जाता है | जब शिव के आदेश पर वीरभद्र ने राजा दक्ष का सर काटा था ,तो राजा दक्ष को बकरे का सर लगाया गया था | यहाँ पर भी राजा घेपन जी को मक्खन द्वारा बनाया हुआ सर का भोग दिया जाता है | रात्रि विश्राम के दौरान राजा घेपन जी के छत्र को सफ़ेद वस्त्र से ढक दिया जाता है | राजा घेपन जिस भी गांव में जाते हैं वहां के स्थानीय देवता उनके साथ चलते हैं एक निश्चित दूरी से उन्हें वापिस लौटना पड़ता है किंतु माता बोटी शुरुआत से ही राजा घेपन जी के साथ रहती हैं इनका मंदिर भी सिस्सू गांव के समीप रोपसांग गांव में हैं |इसबार २०२०मे सितम्बर या अक्टूबर माह में भक्तों को दर्शन देने एक बार फिर राजा घेपन जी अपनी प्रजा के बीच होंगे यदि संभव हो तो आप भी लाहौल पधार कर राजा घेपन जी एवं अन्य देवी देवताओं का दर्शन लाभ लें तथा अपने जीवन की मंगल कामना करते हुए लाहौल से देवीए माहौल की यादे ले लौटें| राजा घेपन जी से जुडी हुई कुछ और जानकारी आपको अगले अंक में दे पाउँगा | तब तक के लिए दोस्तों इजाज़त चाहूंगा , || जय राजा घेपन ||
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